मेरे बारे मे

11 02 2007

 “बुरा जो देखण मैं चला,बुरा ना मिलया कोय,
   जो मन खोजा आपणा तो मुझसे बुरा ना कोय”

भीड़ मे रहकर भी भीड़ से अलग रहना मुझे पसंद है……कभी-कभी सोचता हुं कि मैं जुदा हुं दुसरों से,पर मेरे आसपास का ताना-बाना जल्द ही मुझे इस बात का एहसास करवा देता है कि नहीं,मैं दुसरों से भिन्न नहीं बल्कि उनमें से ही एक हुं…!
                                      नाम मेरा संजीत त्रिपाठी है, जन्मा रायपुर, छत्तीसगढ़ मे। यहीं पला-बढ़ा,पढ़ा-लिखा और एक आम भारतीय की तरह जिस शहर में जन्मा और पला-बढ़ा वहीं ज़िन्दगी गुज़र रही है। छात्र जीवन से ही स्वभाव में उत्सुकता कुछ ज्यादा थी सो रुझान पत्रकारिता की ओर हुआ। कुछ साल जनसत्ता, नव-भारत, अम्रत-संदेश जैसे राष्ट्रीय और स्थानीय अखबारों में बतौर सिटी रिपोर्टर व असिस्टेंट सब-एडिटर रहा, फ़िर व्यक्तिगत व सामयिक मज़बूरियों के चलते या दुसरे शब्दों मे कहुं तो अपनी शहर ना छोड़ पाने की कायरता के चलते पत्रकारिता से सन्यास ( इसे मैं सन्यास ही कहना चाहुंगा ) लेकर फ़िलहाल एक छोटा सा बिज़नेस कर रहा हुं। यह अलग बात है कि  बिज़नेस की आपाधापी के बीच मेरा पत्रकार मन कभी-कभी अपने आप मे अजनबी सा महसुस करता है।
                                              जन्मा मैं एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में, दादा व पिता जी दोनो ही स्वतंत्रता सेनानी थे सो राष्ट्र और राष्ट्रीयता की बातें एक तरह से मुझे घुट्टी में ही मिली। घर में पिता व बड़े भाई साहब  को पढ़ने का शौक था सो किताबों से अपनी भी दोस्ती बचपन से ही हो गई। आज भी पढ़ना ही ज्यादा होता है, लिखना बहुत कम्।
 लब्बो-लुआब यह कि मैं एक आम भारतीय हुं जिसकी योग्यता भी सिर्फ़ यही है कि वह एक आम भारतीय है जिसे यह नहीं मालुम कि आम से ख़ास बनने के लिए क्या किया जाए फ़िर भी वह आम से ख़ास बनने की कोशिश करता ही रहता है…।


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20 responses

11 02 2007
vaishali

hi aapke baare me parda bahut achha laga umeed kerti hoon ki ab roz hi kuchh naya pardne ko milega.aapke ujjawal bhavishya ki kamna kerte huye.ishwer aapko bulandi per pahunchaye.

11 02 2007
zahid

Waah Sanjeet Saheb,

Achcha laga aap ko padke…waise to ab ham bahot achchi tareh jaan chuke hain ke aap ek manjhe huye lekhak hai…aap ki jo baat dil ko bhayi thi…wo hindi sahitya se muhabbat hi thi…

Ek achchi shuruaat hui hai aaj, insha-allah tarakki karenge…

12 02 2007
tanya

bahut hi umda,sach men behtareen panktiyaan jo dil ko chu gayi……..aapka behad dhanyavad jo humsabko bhi isme shamil kiya aapne…….. hopefully we will get to read more good things by ur guidance and help……..hats off to u cb……………waise aapk bare mein bhi mujhe itna nahi maloom tha

13 02 2007
वीर तिवारी आप का {{वीरु}}

आप के बारे मे लिख हिन्दी मे है
तो Comment भी हिन्दी मे हो ना चाहीये
मे न भी आप कि तरह लिखना चाहता हु
और इस के लिये आप का Softwhare बहुत काम आ रहा है
Softwhare के लिये धन्यवाद

आप के बारे मे पढ कर बहुत अच्छा लगा
धन्यवाद
आप का {{वीरु}}

13 02 2007
नीरज दीवान

आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई कि तुम हिन्दी चिट्ठाजगत का हिस्सा बन चुके हो. मेरी शुभकामनाएं. एक काम और करें.. नारद पर जाकर अपनी सदस्यता के लिए आवेदन कर दें. मैं नारद मुनि से स्वयं संपर्क कर उन्हें कहे देता हूं. किंतु आपका औपचारिक आवेदन आवश्यक है. नारद एग्रीगेटर की सदस्यता लेने से आपका चिट्ठा हज़ारों पाठकों तक सीधे पहुंच जाएगा. हर पोस्ट के साथ आप नारद पर अवतरित होते रहेंगे. तुरंत यहां जाएं. http://narad.akshargram.com/

13 02 2007
नीरज दीवान

यह आवेदन पत्र जमा करें. यह निःशुल्क सुविधा है.. जो याहू हिन्दी के साथ भी जुड़ी है. मुझसे बात करने के लिए जीमेल पर संपर्क किया जा सकता है मेरी आईडी है neerajdiwan at gmail.com
http://narad.akshargram.com/register/

13 02 2007
FALAK

Its awesome! aapkey blog ney man key taaro ko jhankrit kar diya. now atleast i will be able to read gud collection of hindi sahitya.

13 02 2007
Shrish

हार्दिक स्वागत है संजीत जी चिट्ठाजगत में, आशा है नियमित लिखते रहेंगे। नारद जी से आशीर्वाद अवश्य ले लें। उसके बिना पाठक चिट्ठे के बारे में जान नहीं पाएंगे।

यह शुभ संकेत है कि पत्रकारिता से जुड़े काफी लोग अब चिट्ठाजगत में सक्रिय हैं।

13 02 2007
संजीत त्रिपाठी

1- शुक्रिया वैशाली जी,ज़ाहिद भाई और तान्या, आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करुंगा।

2- भाई वीरु, हिन्दी में लिख पाने के लिए अब आसान से साफ़्ट्वेयर उपलब्ध जरुर हो गए हैं लेकिन यह बात हर किसी को नहीं मालुम है। वैसे हर किसी से यही निवेदन मेरा भी है कि कोशिश करें अपनी टिप्पणी हिंदी मे ही दें।
3- भाई नीरज तुम्हारा फ़िर से एक बार शुक्रिया, यह काम की जानकारी देने के लिए
4- धन्यवाद श्रीश भाई, नारद जी से आशीर्वाद जरुर लेना है मुझे।
रहा सवाल पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों के चिठ्ठाजगत मे सक्रिय होने की तो मैं नीरज की इस बात से सहमत हुं कि ” मुंह की खुजली दूर करना “…इसके बिना चैन कहां भले ही माध्यम कोई भी हो

14 02 2007
उन्मुक्त

हिन्दी चिट्ठे जगत में आपका स्वागत है।

14 02 2007
संजीत त्रिपाठी

धन्यवाद उन्मुक्त जी, अपन ने आपके चिठ्ठे तक पहुचनें की असफ़ल कोशिश की, अब ये आप बताएं कि हमारी ये कोशिश असफ़ल क्यों रही। कड़ी के माध्यम से जाने की कोशिश करने पर यह सूचना मिली कि आपने अपना खाता मिटा दिया है।

14 02 2007
jitu9968

हिन्दी चिट्ठाकारी मे आपका हार्दिक स्वागत है। लगातार लिखते रहिए, किसी भी प्रकार की कोई सहायता चाहिए हो तो हम सिर्फ़ एक इमेल की दूरी पर ही है।

15 02 2007
DR PRABHAT TANDON

बहुत-2 स्वागत है आपका।

15 02 2007
संजीत त्रिपाठी

शुक्रिया जितु भाई और डाक्टर साहब

15 02 2007
उन्मुक्त

शायद कुछ गड़बड़ है मैं ऐसे तीन चिट्ठे उन्मुक्त, छुट-पुट, लेख लिखता हूं और एक पॉडकास्ट बकबक करता हूं।

18 02 2007
sujit urf badtameez guy from mp rewa

wah wah sanju baba ji … aapko padha to aisaa lagaa ki kahane ke words nahee mil rahe hai.. lekin jab words naa mile… to kya samjhate hai mai bhee nahee samjh saktaa hun.. lekin mai mahsus kar sakta hun..aapke baare me aur ..1/2 killo respect ka bajan aapke liye mere dil me badh gaya hahaha……..>:D

19 02 2007
priya

wasa mujhae yeh hindi words nhi dikh rahe sirf dabbae dikh rahae hai:((…fir bhi i know jo kuch bhi sanju g aapnae likha hai bahut hi umda or accha likha hoga bec i know ki aap bahut hi acchae writer hai….godd luck..

22 02 2007
rooma

hello sanjeet

its good dear….bahot hi achha likhate hai aap….aap ke vayktitav ka ye pahlu bahot hi anokha hai jise main anibhigya thi….

22 02 2007
rooma

hello sanjeet

aap ke vayktitava ka ye pahlu lekhak ke roop me kaphi anokha hai

23 02 2007
hiren4u

hi sanjeev,

ach laga aapke baare me padhkar jal dhi main bhi hindi me aap comment karunga
ummid karta hu aapke ke blog par ache posts ka silsial jaari rahega

dhanyawaad
Heeren

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