“बुरा जो देखण मैं चला,बुरा ना मिलया कोय,
जो मन खोजा आपणा तो मुझसे बुरा ना कोय”
भीड़ मे रहकर भी भीड़ से अलग रहना मुझे पसंद है……कभी-कभी सोचता हुं कि मैं जुदा हुं दुसरों से,पर मेरे आसपास का ताना-बाना जल्द ही मुझे इस बात का एहसास करवा देता है कि नहीं,मैं दुसरों से भिन्न नहीं बल्कि उनमें से ही एक हुं…!
नाम मेरा संजीत त्रिपाठी है, जन्मा रायपुर, छत्तीसगढ़ मे। यहीं पला-बढ़ा,पढ़ा-लिखा और एक आम भारतीय की तरह जिस शहर में जन्मा और पला-बढ़ा वहीं ज़िन्दगी गुज़र रही है। छात्र जीवन से ही स्वभाव में उत्सुकता कुछ ज्यादा थी सो रुझान पत्रकारिता की ओर हुआ। कुछ साल जनसत्ता, नव-भारत, अम्रत-संदेश जैसे राष्ट्रीय और स्थानीय अखबारों में बतौर सिटी रिपोर्टर व असिस्टेंट सब-एडिटर रहा, फ़िर व्यक्तिगत व सामयिक मज़बूरियों के चलते या दुसरे शब्दों मे कहुं तो अपनी शहर ना छोड़ पाने की कायरता के चलते पत्रकारिता से सन्यास ( इसे मैं सन्यास ही कहना चाहुंगा ) लेकर फ़िलहाल एक छोटा सा बिज़नेस कर रहा हुं। यह अलग बात है कि बिज़नेस की आपाधापी के बीच मेरा पत्रकार मन कभी-कभी अपने आप मे अजनबी सा महसुस करता है।
जन्मा मैं एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में, दादा व पिता जी दोनो ही स्वतंत्रता सेनानी थे सो राष्ट्र और राष्ट्रीयता की बातें एक तरह से मुझे घुट्टी में ही मिली। घर में पिता व बड़े भाई साहब को पढ़ने का शौक था सो किताबों से अपनी भी दोस्ती बचपन से ही हो गई। आज भी पढ़ना ही ज्यादा होता है, लिखना बहुत कम्।
लब्बो-लुआब यह कि मैं एक आम भारतीय हुं जिसकी योग्यता भी सिर्फ़ यही है कि वह एक आम भारतीय है जिसे यह नहीं मालुम कि आम से ख़ास बनने के लिए क्या किया जाए फ़िर भी वह आम से ख़ास बनने की कोशिश करता ही रहता है…।
hi aapke baare me parda bahut achha laga umeed kerti hoon ki ab roz hi kuchh naya pardne ko milega.aapke ujjawal bhavishya ki kamna kerte huye.ishwer aapko bulandi per pahunchaye.
Waah Sanjeet Saheb,
Achcha laga aap ko padke…waise to ab ham bahot achchi tareh jaan chuke hain ke aap ek manjhe huye lekhak hai…aap ki jo baat dil ko bhayi thi…wo hindi sahitya se muhabbat hi thi…
Ek achchi shuruaat hui hai aaj, insha-allah tarakki karenge…
bahut hi umda,sach men behtareen panktiyaan jo dil ko chu gayi……..aapka behad dhanyavad jo humsabko bhi isme shamil kiya aapne…….. hopefully we will get to read more good things by ur guidance and help……..hats off to u cb……………waise aapk bare mein bhi mujhe itna nahi maloom tha
आप के बारे मे लिख हिन्दी मे है
तो Comment भी हिन्दी मे हो ना चाहीये
मे न भी आप कि तरह लिखना चाहता हु
और इस के लिये आप का Softwhare बहुत काम आ रहा है
Softwhare के लिये धन्यवाद
आप के बारे मे पढ कर बहुत अच्छा लगा
धन्यवाद
आप का {{वीरु}}
आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई कि तुम हिन्दी चिट्ठाजगत का हिस्सा बन चुके हो. मेरी शुभकामनाएं. एक काम और करें.. नारद पर जाकर अपनी सदस्यता के लिए आवेदन कर दें. मैं नारद मुनि से स्वयं संपर्क कर उन्हें कहे देता हूं. किंतु आपका औपचारिक आवेदन आवश्यक है. नारद एग्रीगेटर की सदस्यता लेने से आपका चिट्ठा हज़ारों पाठकों तक सीधे पहुंच जाएगा. हर पोस्ट के साथ आप नारद पर अवतरित होते रहेंगे. तुरंत यहां जाएं. http://narad.akshargram.com/
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Its awesome! aapkey blog ney man key taaro ko jhankrit kar diya. now atleast i will be able to read gud collection of hindi sahitya.
हार्दिक स्वागत है संजीत जी चिट्ठाजगत में, आशा है नियमित लिखते रहेंगे। नारद जी से आशीर्वाद अवश्य ले लें। उसके बिना पाठक चिट्ठे के बारे में जान नहीं पाएंगे।
यह शुभ संकेत है कि पत्रकारिता से जुड़े काफी लोग अब चिट्ठाजगत में सक्रिय हैं।
1- शुक्रिया वैशाली जी,ज़ाहिद भाई और तान्या, आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करुंगा।
2- भाई वीरु, हिन्दी में लिख पाने के लिए अब आसान से साफ़्ट्वेयर उपलब्ध जरुर हो गए हैं लेकिन यह बात हर किसी को नहीं मालुम है। वैसे हर किसी से यही निवेदन मेरा भी है कि कोशिश करें अपनी टिप्पणी हिंदी मे ही दें।
3- भाई नीरज तुम्हारा फ़िर से एक बार शुक्रिया, यह काम की जानकारी देने के लिए
4- धन्यवाद श्रीश भाई, नारद जी से आशीर्वाद जरुर लेना है मुझे।
रहा सवाल पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों के चिठ्ठाजगत मे सक्रिय होने की तो मैं नीरज की इस बात से सहमत हुं कि ” मुंह की खुजली दूर करना “…इसके बिना चैन कहां भले ही माध्यम कोई भी हो
हिन्दी चिट्ठे जगत में आपका स्वागत है।
धन्यवाद उन्मुक्त जी, अपन ने आपके चिठ्ठे तक पहुचनें की असफ़ल कोशिश की, अब ये आप बताएं कि हमारी ये कोशिश असफ़ल क्यों रही। कड़ी के माध्यम से जाने की कोशिश करने पर यह सूचना मिली कि आपने अपना खाता मिटा दिया है।
हिन्दी चिट्ठाकारी मे आपका हार्दिक स्वागत है। लगातार लिखते रहिए, किसी भी प्रकार की कोई सहायता चाहिए हो तो हम सिर्फ़ एक इमेल की दूरी पर ही है।
बहुत-2 स्वागत है आपका।
शुक्रिया जितु भाई और डाक्टर साहब
शायद कुछ गड़बड़ है मैं ऐसे तीन चिट्ठे उन्मुक्त, छुट-पुट, लेख लिखता हूं और एक पॉडकास्ट बकबक करता हूं।
wah wah sanju baba ji … aapko padha to aisaa lagaa ki kahane ke words nahee mil rahe hai.. lekin jab words naa mile… to kya samjhate hai mai bhee nahee samjh saktaa hun.. lekin mai mahsus kar sakta hun..aapke baare me aur ..1/2 killo respect ka bajan aapke liye mere dil me badh gaya hahaha……..>:D
wasa mujhae yeh hindi words nhi dikh rahe sirf dabbae dikh rahae hai:((…fir bhi i know jo kuch bhi sanju g aapnae likha hai bahut hi umda or accha likha hoga bec i know ki aap bahut hi acchae writer hai….godd luck..
hello sanjeet
its good dear….bahot hi achha likhate hai aap….aap ke vayktitav ka ye pahlu bahot hi anokha hai jise main anibhigya thi….
hello sanjeet
aap ke vayktitava ka ye pahlu lekhak ke roop me kaphi anokha hai
hi sanjeev,
ach laga aapke baare me padhkar jal dhi main bhi hindi me aap comment karunga
ummid karta hu aapke ke blog par ache posts ka silsial jaari rahega
dhanyawaad
Heeren